सोमवार, 22 फ़रवरी 2016

अंकुर

मिथिलेश आदित्य
आज
अंकुर की सोच
बिल्कुल इन्द्रधनुषी है
जिसमें भींगकर
ढूढ़ना चाहता हैवह
अपना सुनहरा भविष्य
सुरक्षा और संरक्षण के लिए

पर
हम और आप
यह देख
होना चाहते हैं
उस पर काबिज
यह समझकर
कि हो ना जाय
उसका कद
हमारे कद से ऊपर

पर अंकुर
पहचान रहा हमारा षड़यन्त्र
तभी तो
और पुख्ता हो रहा
अंकुर की सोच
...

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