मिथिलेश आदित्य
मैं लिखूँगा
कविता—
तब, जब सावन की वारिश होगी
और होगा प्रेमिका के आने का संकेत
जब प्रेमिका मेरी बाहों में होगी
और प्यार भरी बातें होगी
इसी बीच—
भूली—भटकी
बातों को
याद करते हुए
मैं लिखूँगा
कविता—
मुझे यकीन है
मेरी कविता में
जन्म लेगा—समुन्द्र
जन्म लेगा—तूफान
जन्म लेगा—पहाड़
जन्म लेगा—संघर्ष
जन्म लेगा और भी बहुत कुछ
जिससे सिखेगा आदमी
आदमी होने के लिए
बेहतर जीने के लिए
अपनी जिन्दगी,
औरों की जिन्दगी जीने के लिए
संवारने के लिए
एक—दूसरे
से
प्यार—स्नेह
के लिए
मैं लिखूँगा
कविता—
...