मंगलवार, 16 फ़रवरी 2016

मच्छर

मिथिलेश आदित्य
मच्छर की कमजोर समाज
ऊपज और परवरिश को देखकर
आदमी हमेशा से
इसकी करता  रहा है हत्या
साथ ही आरोपित के लहजे में
कहता है
कि —
मच्छर खून पीकर
फैलाता है — मलेरियाफलेरियाडेंगू
और कई तरह की बिमारीयाँ
और कहता है
कि — यह
 चैन से सोने देता है
और
 चैन से जगने देता है
कानों के पास आकर
बेवजह भिनभिनाता है
आदमी इनसे है दुःखी

मच्छर की ऐसी समाचार जानकर
आज से मैं —
मच्छर पर शोध करने लगा हूँ — 
मच्छर के प्रति संवेदनशील हो गया हूँ — 
मच्छर का चिंतन — स्वभाव — 
कर्म — स्वभाव को पहचान रहा हूँ                                                                                                                  
कि मच्छर
खून नहीं पीताखून जाँचता है
कि —
आदमी के रगो में
राष्ट्र प्रेमसमाज
और आदमी के प्रति
खून दोड़ता है या नहीं — 
सेवा भाव है या नहीं — 

अर्थात्
मच्छरआदमी के सारे कार्य परीक्षण कर
आदमी की मानसिकता समझ कर
कानों के पास आकर
राष्ट्र भक्ति गीत गुनगुनाता है
मन — मस्तिष्क को जागरुक करना चाहता है
ईमानदारी के साथ होने के लिए
राष्ट्र प्रेमसमाज
और आदमी के प्रति
प्यार बढ़ाना चाहता है

और स्वास्थ्य के प्रति करता है सचेत

पर अफशोस
मच्छर की  छोटी  — सी  दुनियाँ
और इसका छोटा — सा कद को देखकर
इस पर
किसी की अच्छी निगाह नहीं है
इसकी कोई इज्जत नहीं है
इसके गुणी स्वभाव को
पहचानना नहीं चाहता है
सीखना नहीं चाहता है
... 

गुरुवार, 11 फ़रवरी 2016

नेक आदमी बनना चाहता हूँ

मिथिलेश आदित्य
मैं
नेक आदमी बनना चाहता हूँ
ताकि ईश्वर
मेरे नेक कामों से प्रभावित रहे

मुझसे हाथ मिलाना चाहे
मेरे संग फोटो खिचाना चाहे
मेरी आटोग्राफ लेना चाहे

मैं दुनियाँ की
जटिल से जटिल
समस्याओं का समाधान कर सकूँ
सबों की जरुरत बन सकूँ
मसीहा बन सकूँ
ताकत बन सकूँ
इसकी सेवा और रक्षा कर सकूँ

इस तरह से
मैं ईश्वर का
अभिन्न चहेता बन सकूँ

ताकि ईश्वर
मेरे नेक कामों से प्रभावित रहे

अर्थात्
मेरा जन्मना सार्थक हो जाए
इस धरा और गगन के लिए
आदमी के लिए
आदमी होने के लिए
ईश्वर के लिए
...

रविवार, 17 जून 2012

आजकल एक आदमी

मिथिलेश आदित्य
आजकल एक आदमी
हो रहा है –
ठग, बेईमानी और लालच
अर्थात् बुराईयों की जड़
जम गई है इनके अन्दर

यह एक – दूसरे के बीच
अपनी गलती छुपाने के लिए
दे रहे हैं –धार्मिक उपदेश
समाज में जीने के लिए
दिखा रहे हैं –धार्मिक रास्ते
धर्म को बढ़ाने के लिए
उत्साहित कर रहे हैं –
प्रोत्साहित कर रहे हैं –

अच्छी बातों के माध्यम से
आपस में घनिष्ठ हो रहे हैं

आज यह आदमी
स्वच्छ प्रकृति का आदमी में
रुपान्तरित हो रहे हैं –

पर यही आदमी
मौका पाने पर
एक –  दूसरे की करते हैं बुराई
पूरी करते हैं अपना स्वार्थ
और समाज को करते हैं कमजोर
धर्म के सहारे –
उपदेश के सहारे –

अन्ततः फिर दिखाते हैं
अपना क्षुद्र स्वभाव
...