मिथिलेश आदित्य
ईश्वर के पाठशाला
में
श्यामपट
है— आकाश—सा
जहाँ युग—युगान्तर
से
लिखा है—
आदमी का इतिहास
कि क्यों— धरती
इतना दुःख कष्ट
सहकर
अपने छाती व
हृदय से
उभारना वा सम्हालना
चाहता है— आदमी
को
लेकन
स्वार्थ
के चक्रब्युह में
जो आदमी भुलता
है
धरती का उद्देश्य
मर्यादा
और पीड़ा
जिसका कई परिणाम
भोग रहा है
आदमी
और गिर रहा
है
नैतिकता
के धरातल से
नीचे बहुत नीचे
ईश्वर के पाठशाला में—
...
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